गर्मियों में चिलचिलाती धूप में भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार पर लगाम लगा सकती है।
देश के दो हाईप्रोफाइल माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने यह बात कही है जिन्हें अमेरिका के मैरीलैंड स्थित दुनिया की सबसे बड़ी मां बायोमेडिकल रिसर्च एजेंसी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के साथ काम किया।
भारतीय सूक्ष्म जीव वैज्ञानिकों ने कहा है कि गर्मियों के दौरान बढ़ता पारा कोराना प्रसार की उस दर में बदलाव ला सकता है जिस दर पर घातक covid 19 लोगों को संक्रमित करता है।
एन आई एन आई एस और प्रोजेक्ट एंथ्रेक्स पर अमेरिकी सेना के साथ काम कर चुके जाने-माने भारतीय माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर वाई सिंह ने बताया कि अप्रैल के अंत तक 40 डिग्री से अधिक आपेक्षित तापमान कोरोनावायरस के प्रभाव को कम कर सकता है।
सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स इंटीग्रेटेड बायोलॉजी' में चीफ साइंटिस्ट रहे प्रोफेसर वाई सिंह ने बताया की तापमान वृद्धि वायरस के प्रसार को बदल सकती है जो किसी भी सतह या एरोसॉल के माध्यम से इंसानों में ट्रांसफर हो जाती है।
तापमान अधिक होने पर किसी भी स्तर वायरस के जीवित होने की अवधि कम होगी लेकिन मैं स्पष्ट कर दूँ की अगर एक व्यक्ति का शरीर संक्रमित है तो फिर बाहर के तापमान का संक्रमित व्यक्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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