ब्रिटिश सरकार ने शनिवार को विशेष रूप से प्रशिक्षित कुत्तों के लिए परीक्षण शुरू किया कि क्या वे इंसानों में कोरोना वायरस संक्रमण की पहचान लक्षणों के सामने आने से पहले ही कर सकते हैं।
यह पूरी प्रक्रिया एक शोध का हिस्सा है यह परीक्षण स्थापित करेंगे कि क्या कुत्ते भविष्य में कोरोना वायरस की पहचान के लिए बिना किसी उपकरण के इस्तेमाल के शुरुआती चेतावनी प्रणाली हो सकते हैं 'लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन' में शोधकर्ता पहले चरण में धर्मार्थ मेडिकल डिटेक्शन विश्वविद्यालय के साथ मिलकर परीक्षण करेंगे स्वास्थ्य एवं सामाजिक देखभाल विभाग ने कहा कि इस पूरे शोध के लिए सरकार 500000 पाउंड की रकम दे रही है पहले यह तय करना है कि क्या शरीर की बदबू के नमूने से कुत्ते इंसानो में कोरोना वायरस का पता लगा सकते हैं।
इस परीक्षण के लिए दोनों विश्वविद्यालय के सिर्फ रोग नियंत्रण विशेषज्ञ मिलकर काम कर रहे हैं मेडिकल डिटेक्शन डॉक्स पहले से ही कुत्तों को सूंघकर इंसानों की कई बीमारियों का पता लगाने का सफलतापूर्वक परीक्षण दे चुका है जिनमें कैंसर मलेरिया और पार्किसन रोग शामिल है ब्रिटेन के नवोन्मेष मंत्री लॉर्ड बेटहेल ने कहा जेवणवेषी कुत्ते पहले ही खास तरह के कैंसर का पता लगा रहे हैं और हमारा मानना है कि यह खोज हमारी व्यापक जांच रणनीति को तेज नतीजे उपलब्ध करा सकती है।
उन्होंने कहा सटीक होना महत्वपूर्ण है इसलिए यह परीक्षण हमें बताएगा कि क्या को भी कुत्ते विश्वसनीय तरीके से वायरस का पता लगाकर इसका प्रसार रोक सकते हैं स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि इस परीक्षण में यह देखा जाएगा कि क्या कुत्तों को लोगों में कोरोना वायरस की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है भले ही उनमें लक्षण नजर नहीं आ रहे हो यह उन जांच के तरीकों में से एक है जिसकी संभावना सरकार वायरस की शीघ्र पहचान करने के लिए टटोल रही है।
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