प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर चीन के एक साथ कई मोर्चों पर घेराबंदी शुरू कर दी।
लद्दाख सीमा पर सेना को युद्ध मोड में आने के साथ ही ऐसा चक्रव्यूह रचा गया है जिसका तोड़ निकाल पाना चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तो क्या उनके पूर्वजों के बस की बात नहीं है भारत सरकार ने वाणिज्य मंत्रालय से चीन से आयात किए जाने वाली वस्तुओं की सूची स्तर मूल्य और उनके विकल्प की सूची मांगी है इससे साफ जाहिर है कि भारत सरकार चीन से बड़े व्यापार को बंद कर झटका देना चाहता है लेकिन अकेले भारत के ऐसा करने पर चीन को कोई खास नहीं फर्क पड़ता क्योंकि चीन अपने कुल व्यापार का 3 फ़ीसदी भारत के साथ व्यापार करता है।
इन हालात में भारत चीन से आयात बंद कर भी दे तो चीन को कम भारत को नुकसान ज्यादा होगा इसलिए भारत ने मित्र राष्ट्रों के साथ मिलकर चीन के कुल निर्यात के कम से कम 50 फीसद व्यापार पर कुल्हाड़ी मारने वाला दांव चला है भारत और राष्ट्र मित्र अमेरिका ,ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी ,मालदीव और श्रीलंका जैसे राष्ट्रों के साथ मिलकर प्लान बनाया है इस प्लान के तहत पहले भारत फिर अमेरिका और फिर ब्रिटेन इत्यादि देश के चीन के साथ व्यापार हो एक- एक करके बंद कर देंगे इस बीच चीन के विकल्प को खोजा जाएगा और जरूरी वस्तुएं मंगवाई जाएगी चीन के निवेश को रोका जाएगा और पुराने समझौतों की पुनः समीक्षा की जाएगी।
इस कड़ी में भारत ने चीन से टायर आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है चीनी निवेश रोक दिया है इसी तरह ब्रिटेन ने चीन के साथ में व्यापार और निवेश समझौते की समीक्षा किए जाने की बात कही है अमेरिका ने चीनी सामान पर टैरिफ बढ़ा दिया है अमेरिका के साथ चीन व्यापार 17 फीसदी है ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड ,फ्रांस, जर्मनी और देशों को मिलाकर 30 फ़ीसदी व्यापार होता है भारत को यह मिलाकर 50 फीसद हो जाता है।
तय रणनीति के मुताबिक सभी राष्ट्र चीन से व्यापार कर लेते हैं या कम कर देते हैं चिन के सामने मार्केट का अभाव पैदा हो जाएगा निर्यात बंद होने से चीन के कारखाने बंद हो जाएंगे लोग बेरोजगार हो जायेगा इसका मतलब है कि चीन की आर्थिक रीढ़ टूट जाएगी एक तरफ हांगकांग ,ताइवान ,जापान और साऊथ चाइना सी में उलझी सी उलझी शी जिनपिंग की सरकार लद्दाख सीमा पर युद्ध को 2 दिन तक नहीं झेल पाएगी।
चीन के खिलाफ यह कार्रवाई शुरू हो चुकी है बहरहाल भारतीय के कुल आयात में चीन की 14 फीसद हिस्सेदारी है और सेलफोन, टेलीकॉम पावर ,प्लास्टिक के खिलौने और क्रिटिकल फॉर माइनर जैसे सेक्टरों में चीन का दबदबा खत्म हो जाएगा और चीन घुटनों पर आ जाएगा।
सरकार ने हाल में चीन के टायर की पाबंदी लगा दी है साथ ही पड़ोसी देशों से होने वाले विदेशी निवेश के लिए पूर्व मंजूरी लेना अनिवार्य किया गया है इसका मकसद कोरोना काल में घरेलू कंपनियों को अवसरवादी अधिकरण से बचाना है इस कदम से खासकर चीन से आने वाले एफडीआई पर लगाम लगेगी।
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