कोरोना वायरस के संक्रमण से दुनिया भर के 200 से ज्यादा देश प्रभावित है।
इस महामारी पर काफी हद तक नियंत्रण करने की कोशिश हो रही है लेकिन हर दिन कोरोना संक्रमण और उससे होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है पूरी दुनिया में कोरोना संगठन पर लगाम लगाने वाली के लिए कई देशों में वैक्सीन की तैयारी की जा रही है करीब 110 से ज्यादा तरह की वैक्सीन पर काम चल रहा है।
जिनमें करीब डेढ़ दर्जन आगे चल रही है भारत में भी दो वेक्सीन ह्यूमन ट्रायल के फेज में है एक बार वैक्सीन तैयार हो जाने के बाद दूसरी चुनौती यह है कि सबसे ज्यादा असरदार होने के लिए इसे किस रूप में लाया जाए बीसीजी इंजेक्शन के रूप में ,पोलियो के ड्राप रूप में या फिर किसी और रूप में कोरोना वायरस के लिए भारत बायोटेक कंपनी नाक के जरिए ली जाने वाली एक वैक्सीन विकसित कर रही है यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कांसिन मैडिसन और वैक्सीन निर्माता कंपनी फलुजेन के विषाणु वैज्ञानिकों ने भारत बायोटेक के साथ मिलकर कोरोना के खिलाफ कारगर कोरोफ्लु नामक इस वैक्सीन को विकसित करने के लिए ट्रायल शुरू किए हैं।
इसवेक्सीन के बारे में कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह नाक में लगाई जा सकती है विशेषज्ञों की माने तो कोरोनावायरस सहित अन्य विषयों या रोगाणु म्यूकोसा के माध्यम से ही शरीर में प्रवेश करते हैं यह गीले ,सकव्सी उत्तक जो नाक मुंह फेफड़े और पाचन तंत्र में पाए जाते हैं उन्हें प्रभावित करते हैं कोरोना वायरस के बारे में कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह श्वसन के जरिए हमारे शरीर के अंदर जाता है।
येल विश्वविद्यालय के एक विशेषज्ञ अकीकी इवासाकी ने कहा यह जानते हुए कि एक वायरल रोग जनक के खिलाफ शक्तिशाली सेलशम प्रतिक्रिया किस तरह हो सकती है यह तरीका संबंधों के बारे में सोचने के लिए आदर्श होगा आमतौर पर वेक्सीन शरीर के ऊपरी हिस्सों में लगाई जाती है लेकिन हर वायरस की अपनी परवर्ती होती है और कोरोना वायरस भी पूर्व के वायरस से बिल्कुल अलग है।
इसके बचाव और तुरंत असर के लिए अगर नाक के जरिए वेक्सीन अंदर जाएगी तो वेक्सीन वायरस पर तुरंत अटैक करेगी और उसे खत्म करेगी इससे पहले एक अध्ययन में ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने कोरोना को की बन रही वेक्सीन को लेकर यह का दावा किया है कि है इन्हेलर रूप में या फिर नाक के स्प्रे के रूप में ज्यादा प्रभावी साबित होगी।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों का यही मानना है कि इस संबंधी संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए सीधे फेफड़े में दवा डालना सबसे अच्छा तरीका हो सकता है।
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