कहते है किसमत भी उसका साथ देती है जिनमे जोखिम लेने के क्षमता होती है यह बात कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले के डोड्डासिद्वावनहल्ली निवासी मल्लिकार्जुन पर 100 फीसदी लागू होती है।
मल्लिकार्जुन ने उस वक्त खेती में कदम रखा जा वक्त उनके आसपास के ज्यादातर किसान भूमिगत पानी की कमी के चलते खेती करना छोड़ रहे था मल्लिकार्जुन ने इन किसानो से 10 एकड़ जमीन पटेल पर लेकर 20 एकड़ जमीन पर प्याज की खेती की इसके लिए 50 मजदूरों को काम पर रखा पयः की खेती के लिए मल्लिकार्जुन ने 15 लाख का कर्ज भी लिया था।
वो 2004 से प्याज की खेती कर रहे है लेकिन उन्हें पिछले साल प्याज की खेती से कोई फायदा नहीं हुआ लेकिन उन्होंने प्याज की खेती करना जारी रखा मल्लिकार्जुन ने लीग से हटकर बरसात के महीने में प्याज की खेती करना शुरू कर दिया।
एक खबर के मुताबिक मल्लिकार्जुन इसे अब तक का सबसे बड़ा जोखिम मानते है दरअसल अक्टूबर के महीने में प्याज की कीमते कम थी जिसकी वजह से मल्लिकार्जुन काफी चिंतित थे हालाँकि नवम्बर के पहले हफ्ते में प्याज की कीमते 7 हजार प्रति किवंटल हो गयी इसके बाद थोड़े दिन बाद प्याज की कीमते 12 हजार रूपये प्रति किवंटल हो गयी ऐसे में मल्लिकार्जुन ने 240 टन प्याज (लगभग 20 ट्रक) की प्याज की पैदा से खूब मुनाफा कमाया मल्लिकार्जुन ने 15 लाख रुपए का निवेश किया था तो उम्मीद लगाई थी कि 5-10 लाख रुपये का लाभ होगा।
लेकिन प्याज की कीमते बढ़ी और वो करोडपति बन गए मलिकार्जुन अब बेंगलूर से 200 किलोमीटर दूर चित्रदुर्ग में खेती के क्षेत्र में एक सेलिबिरिटी बन गए है सभी किसान उन्हें अपने आदर्श मानने लगे है वह कहते हैं, 'मैंने अपना कर्ज चुका दिया है अब मैं एक सुंदर घर बनाने की योजना बना रहा हूं।
इसके साथ ही खेती के विस्तार के लिए और जमीन खरीदना चाहता हूं प्याज की बढ़ी कीमतों से जहां आम आदमी परेशान है, वहीं दूसरी तरफ प्याज की बढ़ी कीमतों ने कर्ज में डूबे एक किसान को महज एक माह में करोड़पति बना दिया।
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