जब दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है।
हवाई यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोनॉमी के शोधकर्ताओं ने सौर कोरोना का अध्ययन किया है और सोलर कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र का पता लगाया है सोलर कोरोना यानी सूर्य का बाहरी वातावरण जो अंतरिक्ष में फैला है सूर्य की सतह से निकलने वाले आवेशित धारा को सौर पवन कहा जाता है और यह पूरे सौरमंडल में फैल जाते हैं।
30 जून को एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में आईएफए के छात्र बेंजामिन का एक अध्ययन प्रकाशित हुआ इसमें कोरोना चुंबकीय क्षेत्र की आकार को मापने के लिए सूर्य ग्रहण के पर्यवेक्षणों का उपयोग किया कोरोना सूर्य ग्रहण के दौरान आसानी से देखा जा सकता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में होता है और सूर्य की चमकदार सतह को रोकता है पूर्ण सूर्यग्रहण को देखने के लिए शोधकर्ता संवेदनशील वैज्ञानिक उपकरणों के साथ दुनिया भर में घूमें इनफीरियर ग्रहों का बारीकी से अध्ययन करने पर कोरोना को परिभाषित करने वाली भौतिक प्रक्रियाओँ के रहस्य से पर्दा उठा।
पिछले दो दशकों में हुए 14 ग्रहण के दौरान कोरोना कि ली गई तस्वीरों का अध्ययन किया गया अध्ययन में पाया गया कि कोरोनल चुंबकीय क्षेत्र लाइनों का पैटर्न बेहद संरचित है समय के साथ ही पैटर्न बदलता रहता है इन परिवर्तनों की मात्रा निर्धारित करने के लिए बोए ने सूर्य की सतह के सापेक्षीय चुंबकीय क्षेत्र को न्यूनतम शोर गतिविधि की अवधि के दौरान और उनके क्षेत्र को भूमध्य रेखा और ध्रुवो के पास सूर्य से लगभग सीधे निकला जबकि यह मध्य अक्षांशों पर कई कोणों में सीधा निकला जब शोर गतिविधियों ज्यादा थी तो कोरोनल चुंबकीय क्षेत्र बहुत कम संगठित और ज्यादा रेडियल था यह सूर्य का कोरोना फिलहाल पृथ्वी पर फैले कोरोना से बिल्कुल अलग है।
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