जब से भारत में कोरोना ने एंट्री की है तब देश ने दुनिया के सबसे सख्त लॉकडाउन का ऐलान किया था।
संदेश साफ था कि है जानलेवा वायरस बीमारी किसी को भी नहीं बख्सेगा अगर यह भारत में तेजी से फैला तो 100 अरब से भी ज्यादा आबादी वाला देश नष्ट हो जाएगा भारत में बरते गए नतीजों की एहतियात का नतीजा यह हुआ कि कोरोना इंफेक्शन की दर घटी और कोरोना की मृत्यु दर कम रही लेकिन इसके साथ ही देश में सार्वजनिक और व्यक्तिगत तौर पर सावधानी बरतनी में कमी आयी इसी वजह से दुनिया भर के विशेषज्ञ ने आगाह किया है कि कोरोना को लेकर भारत का लचर संकट खड़ा करेगा।
भारत में जिस तरह से कोरोना ने दोबारा एंट्री की है उसने सभी को हिला कर रख दिया है भारत में पिछले 24 घंटे के आंकड़े बताते हैं कि 1,68,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं 24 घंटे में 904 लोगों ने अपनी जानगँवा दी है फिर भी मामलों में काफी तेजी से उछाल देखने को मिल रहा है महाराष्ट्र में तो 14 दिन के लिए लॉक डाउन भी लागू कर दिया गया है वैज्ञानिक कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता लगा रहे हैं जो ब्रिटेन औरअफ्रीका में पाए गए वेरियंट्स से भी ज्यादा खतरनाक माने जा रहे हैं वहीं प्रशासन ने कई स्थानों पर कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग को भी मुश्किल करार दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि गलत कदमो का रुख की वजह से कोरोना को लेकर भारत को दुनिया की सबसे खराब जगहों में शुमार कर दिया है महामारी वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि भारत की निरंतर असफलता के वैश्विक प्रभाव होंगे भारत में उन पांच गलतियों की ओर इशारा किया है जिससे कोरोना ज्यादा खतरनाक होकर लौटा है जिससे कोरोना सबसे ज्यादा खतरनाक होकर लौटा है।
जॉन हापकिंस मेडिसिन के विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के लिए लोगों का बर्ताव जिम्मेदार है पिछले साल लगाए गए सख्त लॉकडाउन ने भारत में कोरोना महामारी की रफ्तार को धीमी कर दिया था उस दौरान लोगों ने मार्च के पहले 2 गज की दूरी भी बनाई और नियमित तौर पर हाथों की सफाई भी की लेकिन जैसे ही मामलों में गिरावट आने लगी लोगों में लापरवाही देखने को मिली।
विशेषज्ञ इसे प्रोटोकॉल की थकान भी बोल रहे हैं लोगों ने पाबंदियों से ऊबकर मास्क लगाना छोड़ दिया ट्रेन से यात्रा होने लगी और लोग बड़ी संख्या में घूमने भी जाने लगे वही अर्थव्यवस्था की हालत को देखते हुए भारत में फिर से लोग लगाने की स्थिति नजर नहीं आ रही है लेकिन इस दौरान कोरोना के नियमों के पालन में भी लापरवाही दिखी विभिन्न विधानसभा चुनाव को लेकर रैलियों में भीड़ जुटाकर राजनेताओं ने भी गलत संदेश दिया।
रैलियों में भीड़ जुटने की वजह से देश के बाकी हिस्सों में लोग सरकार की कड़ाई के खिलाफ भी दलील देने लगे इसकी वजह से बेफिक्री बढ़ने लगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2 फुट की दूरी की अपील करते रहे लेकिन राजनीतिक रैलियों में इसके कोई मायने नहीं रह गए 4 राज्य व केंद्र शासित प्रदेश में चुनावी रैलियों में बड़े नेता पहुंचे और भीड़ जुटी।
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